1.Vigil on the northern borders,detection and prevention of border violations, and promotion of the sense of security among the local populace.2.Check illegal immigration , trans-border smuggling and crimes.3.Security to sensitive installations, banks and protected persons.4.Restore and preserve order in any area in the event of disturbance.
Presently ITBP has been guarding India-China border in Jammu & Kashmir, Himachal Pradesh and Uttarakhand, Sikkim and Arunachal Pradesh states from the Karakoram pass in Jammu Kashmir to Jechap La in Arunachal Pradesh. The altitude of ITBP BOPs ranges from 9,000 ft to 18,750 ft where the temperature dips to (-) 45 degrees Celsius.
ITBP Battalions are also providing security to various installations of national importance throughout the country, which includes Rashtrapati Bhawan, Vice President House, Rumtek Monastery (Sikkim), Tihar Jail (N Delhi), LBSNAA (UKD) and various sensitive installations in Chandigarh (Punjab) Jammu (J&K).
In view of increased Maoist activities in various parts of the Country, ITBP was inducted in District Rajnandgaon (Chhattisgarh) in December 2009 to thwart naxal menace. At present, 8 Bns are deployed in Rajnandgaon, Narayanpur Kondagaon Districts of Chhattisgarh.
At present, a well equipped and highly trained team of elite commandos are deployed in Afghanistan for providing security to the Indian Embassy in Kabul.
ITBP has also excelled in UN peacekeeping operations. The Force personnel were deployed for peacekeeping operations in Angola, Namibia, Cambodia, Bosnia Herzegovina, Mozambique and Kosovo. A National Centre for UNCIVPOL training has been setup at ITBP Camp, Tigri and New Delhi for providing systematic training to Indian Police Officers for deployment in UN Mission.
ITBP is also providing security, communication and medical cover to the pilgrims during the Annual Kailash Mansarovar Yatra since 1981. ITBP provides communication, security and medical cover to the yatries from Gunji to Lipulekh Pass and back to Gunji in co-ordination with MEA and Kumaon Mandal Vikas Nigam. Since 2015, the Kailash Mansarovar Yatra is also being conducted from Nathula route and ITBP is providing similar assistance for pilgrims in this route also.
Being the first responder for natural Disasters in the Himalayas, ITBP was the first to establish 7 Regional Response Centres and carried out numerous rescue and relief operations in all disaster situations, which took place in our areas of responsibility as well as other parts of the country. In a historic rescue and relief operation in 2013, the ITBP saved 33,009 pilgrims from grave situations from Char Dham yatra routes in Uttarakhand in the 15 day rescue effort by the Force. 15 Himveers laid down their lives on 25th June, 2013 in a Helicopter crash during this rescue operation.
ITBP conducts a large number of medical civic action programmes in remote border and terrorist/naxal affected areas to provide free and expert medical, health and hygiene care to the civilian population in remote villages.
ITBP is at the forefront of the movement for the preservation of the Himalayan environment ecology. ITBP has taken up in a big way the task of greening the Himalayan regions especially in the Inner Himalayas. Being the only human presence on forward areas, it has taken on itself the task of maintaining the delicate balance of flora and fauna.
1. सीमाओं की निगरानी, सीमा अतिक्रमण का पता लगाना एवं रोकथाम करना तथा स्थानीय जनता में सुरक्षा भावना को जाग्रत करना।
2.अवैध आवागमन तथा सीमा पार से तस्करी और अपराध को रोकना।
3.संवेदनशील प्रतिष्ठानों, बैंको और विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा करना।
4.अशांति की स्थिति में किसी भी क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखना।
सीमाओं की निगरानी में भा.ति.सी.पुलिस अग्रिम चौकियों पर 9000 से 18000 फीट उंचाई पर अधिकांश अग्रिम चौकियां शीतकालीन मौसम में सड़क मार्गो से कटी हुई रहती है। अग्रिम चौकिंया प्रकृति के प्रकोप व प्रहार जैसे बर्फवारी, बर्फीले तूफान, भूस्खलन व हिमस्खलन आदि के साथ तीव्र वेग वाली ठंडी हवाओं से प्रभावित होती है जहां सामान्यत: तापमान आम तौर पर -40 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है। सीमा की सुरक्षा के साथ-साथ जम्मू कश्मीर में आंतकवाद से लड़ने में भी यह बल पूरी तरह से मुस्तैद है, जहां इसने अनुकरणीय क्षमता एवं बहादुरी प्रदर्शित की है।
देश में इस बल के कार्मिकों को सम्मान से हिमवीर पुकारा जाता है। यह बल दिल्ली स्थित प्रतिष्ठानों एवं अति विशिष्ट व्यक्तियों को सुरक्षा कवर भी प्रदान करता है। प्रत्येक वर्ष भा.ति.सी.पुलिस के कार्मिक संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक मिशन के रूप में कोसोवों, अंगोला तथा पश्चिमी सहारा और सियरा लियॉन तैनात किये जाते है। बल का शीर्ष आदर्श वाक्य शौर्य दृढ़ता और कर्मनिष्ठा को प्रदर्शित करता है इसमें दो राइफलों के साथ अशोक और चक्र है। यह जवानों को स्वयं से पहले कर्तव्य निवर्हन की प्रेरणा देता है।
हिमालय में प्राकृतिक आपदा के लिए पहली प्रतिक्रिया होने के नाते, आईटीबीपी ने 7 क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की और सभी आपदा स्थितियों में कई बचाव और राहत कार्यों को अंजाम दिया, जो हमारे जिम्मेदारी के क्षेत्रों के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में भी घटित हुए। 2013 में एक ऐतिहासिक बचाव और राहत अभियान में, आईटीबीपी ने बल द्वारा 15 दिनों के बचाव प्रयास में उत्तराखंड में चार धाम यात्रा मार्गों से 33,009 तीर्थयात्रियों को गंभीर स्थिति से बचाया। 15 हिमवीर ने 25 जून, 2013 को इस बचाव अभियान के दौरान एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
आईटीबीपी दूरदराज के गांवों में नागरिक आबादी को मुफ्त और विशेषज्ञ चिकित्सा, स्वास्थ्य और स्वच्छता देखभाल प्रदान करने के लिए दूरस्थ सीमा और आतंकवादी/नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सिविक एक्शन प्रोग्राम आयोजित करता है।
भा.ति.सी.पुलिस हिमालयी पर्यावरण और पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए क्रियाकलाप में सबसे आगे है। भा.ति.सी.पुलिस ने बड़े पैमाने पर हिमालयी क्षेत्रों को विशेष रूप से आंतरिक हिमालय में हरा-भरा करने का कार्य किया है। आगे के क्षेत्रों में एकमात्र मानवीय उपस्थिति होने के कारण, इसने वनस्पतियों और जीवों के नाजुक संतुलन को बनाए रखने का कार्य अपने ऊपर ले लिया है।